रिम्जिम रिम्जिम।।
घने काले बादलों और ठंडी लहराती हुई पवन को है अब जो मिला तेरा साथ; हरियाली और खुशहाली भरी झूम कर आ गयी फिर बरसात।
बिजलियां सी कदक्ने अब है फिर से लगी; भीगे भीगे इं पलों में परप्ती फिर है कहिं कोई एक दिल्लगी। ।
पेड पौधों को फिर एक बार है सृष्टि ने जो सजाया; आस पास हरियाली ना देख, इनके महत्व को भी बरसात ने ही सम्जाया। ।
भीगी मिट्टी की खुशबु से हवा में है नयी उमंग; मेरी छोटी सी पेपर बोट भी चली अब इन बारिश की लहरों के संग। ।
बरसते हुए पानी को देख जो हुआ है खुश हर एक किसान; हल का हल तोह यहां फिर भी छल है यारों, और हम कहें जय जवान जय किसान। ।
वो रेनकोट पहने स्कूल जाते हुए बचों की मासूम मस्तियाँ; याद आ गया अपना भी बचपन, नजाने कहां बिखर्से गये मेरे भी वोह दोस्त और मेरे बचपन की हर्स्तियां। ।
कीचड़ में रेन्गना और भिगना दिन भर उस बरसात में; मन्न तोह बादलों को देखकर आज भी हुआ, बस थे सिर्फ मोबाइल और लैपटॉप अब साथ में। ।
सावन का महीना, पवन करे शोर; पानी जो भी बरसा है मुंबई में, चला वोह मिलन सबवे की ओर। ।।
बारिश जब जब आती है, मिट्टी की सुघन्ध फैलाती है; और मुंबई वाले पूछते है, हमारी ट्रेन को क्यूं नहिं लाती है।।
बारियश की पेहली बूंदे भी पतझड के प्रहार भगाती है; और मुंबई वले फिर पूछी, येह त्राफिक कहाँ se आती है। ।
बारिश में पहाडों पर भी जो नये फूल खिल खिलाए; घर बैठे मन्न मुस्कराया, जब माँ के हाथों के गरम गरम पकोडे खाये। ।
रिमझिम रिमझिम जब बरखा है आई; प्रकृती भी आज है कैसी येह मुस्कराई; जहां भी येह नज़र जो ठहरी; हर एक पहाड से एक नहेर लहराई। ।
बरसात का मौसम हम सबको ही है भाता; किसीको पसन्द है बिजली का शोर, तोह किसीको रिम्जिम भरा सनाटा। ।
लिखना तोह चाहता हूं और भी इस पगली रिम्जिम के बारे में; दिल ने कहा आज भिगले प्यारे, कलसे तोह बैठना है ऑफ़िस की चार दिवारों में। ।
An attempt And a tribute to the season that brings a lot of happiness, relief and of course water to our Self destructed Globe!!
Love, Like and give a huge thumbs up to Rains!!!
And as they say...
And as they say...
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वोह कागज की कश्टी
वोह बारिश का पानी। ।।
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वोह कागज की कश्टी
वोह बारिश का पानी। ।।
Enjoy reading your blog.
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